हुसैन नामक एक बड़ा जौहरी था l एक समय वह व्यापार हेतु रामनगर गया l वहां उसकी मित्रता देश के मंत्री से हो गई l एक दिन वह मंत्री के साथ भ्रमण पर निकला तो रास्ते में उसे एक विशाल तम्बू नजर आया और एक सुसज्जित सेना उस तम्बू की परिक्रमा कर रही थी l फिर क्रमशः विद्वान् पुरुष , दो - तीन सौ सेवक जवाहरात भरे थाल के साथ और फिर अंत में राजा आये और ये सब भी परिक्रमा कर के चले गए l
जौहरी ने मंत्री से इस अद्भुत लगने वाली घटना के बारे में जिज्ञासा की तो मंत्री ने बताया कि राजा का एक अत्यंत गुणवान पुत्र था l राजा उस से अत्याधिक स्नेह करता था l एक दिन अकस्मात उसका निधन हो गया l इस तम्बू में उसकी कब्र बनी है प्रतिवर्ष राजकुमार की मृत्यु - तिथि के दिन राजा सेना व परिवार सहित यहाँ आता है और प्रदक्षिणा कर के लौट जाता है l हुसैन ने मंत्री से पूछा --- " तो क्या राजा अपने पुत्र की कब्र पर कुछ चढ़ाता नहीं l " मंत्री ने उत्तर दिया --- " नहीं ! इस पूरे प्रयोजन का उद्देश्य मात्र इतना है कि -- सेना की वीरता , विद्वानों का ज्ञान और पूरे राज्य की धन - सम्पति सब व्यर्थ है l यह सब देकर भी मनुष्य आयु नहीं प्राप्त कर सकता l " यह सुनकर हुसैन के मन में भी तीव्र वैराग्य उत्पन्न हुआ और अत्यधिक सम्पति संग्रह करने का लालच छोड़ कर वह भगवद भजन और लोक कल्याण के कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखने लगा l
जौहरी ने मंत्री से इस अद्भुत लगने वाली घटना के बारे में जिज्ञासा की तो मंत्री ने बताया कि राजा का एक अत्यंत गुणवान पुत्र था l राजा उस से अत्याधिक स्नेह करता था l एक दिन अकस्मात उसका निधन हो गया l इस तम्बू में उसकी कब्र बनी है प्रतिवर्ष राजकुमार की मृत्यु - तिथि के दिन राजा सेना व परिवार सहित यहाँ आता है और प्रदक्षिणा कर के लौट जाता है l हुसैन ने मंत्री से पूछा --- " तो क्या राजा अपने पुत्र की कब्र पर कुछ चढ़ाता नहीं l " मंत्री ने उत्तर दिया --- " नहीं ! इस पूरे प्रयोजन का उद्देश्य मात्र इतना है कि -- सेना की वीरता , विद्वानों का ज्ञान और पूरे राज्य की धन - सम्पति सब व्यर्थ है l यह सब देकर भी मनुष्य आयु नहीं प्राप्त कर सकता l " यह सुनकर हुसैन के मन में भी तीव्र वैराग्य उत्पन्न हुआ और अत्यधिक सम्पति संग्रह करने का लालच छोड़ कर वह भगवद भजन और लोक कल्याण के कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखने लगा l
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