यदि विचार परिष्कृत होंगे , दुष्प्रवृतियों के स्थान पर सद्प्रवृतियों की स्थापना होगी तो संसार की जटिल से जटिल समस्याएं स्वत: ही हल हो जाएँगी l
आज के वातावरण में आसुरी तत्व बड़ी मात्रा में उत्पन्न हो रहे हैं l अनीति , अन्याय , अधर्म और अकर्म का चारों ओर बोलबाला है ल स्वार्थ , पाप , वासना , तृष्णा और अहंकार की तूती बोल रही है l एक दूसरे का शोषण कर के , सताकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने को लोग कटिबद्ध हैं l प्रेम , उदारता , सह्रदयता , संवेदना , सेवा और सज्जनता की मात्रा दिन - दिन घटती जा रही है l फलस्वरूप ऐसी घटनाओं की बाढ़ आ रही है जिनमे चीत्कार और हाहाकार की भरमार रहती है l इस से पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है l ये दुष्प्रवृत्तियां इसी प्रकार बढ़ती रहीं तो प्रकृति के सामूहिक दंड से बचना मुश्किल है , मानव सभ्यता खतरे में पड़ जाएगी l
विज्ञान ने भी मनुष्य के हाथ में विनाश की बड़ी शक्ति ' एटमी शक्ति ' दे दी है l किसी सिरफिरे का छोटा सा पागलपन कुछ ही क्षणों में संसार के लिए तबाही उत्पन्न कर सकता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है --- लोक मानस में से दुष्प्रवृत्तियों को हटाकर उनके स्थान पर सत्प्रवृत्तियों की स्थापना अनिवार्य है l यह कार्य आत्मशक्ति से संपन्न लोकनायक और मार्गदर्शक ही कर सकते हैं l मस्तिष्क की वाणी मस्तिष्क तक पहुँचती है और आत्मा की आत्मा तक l
अंत:करण में जमी हुई आस्था में हेरफेर करने का कार्य ज्ञान से नहीं आत्म शक्ति से ही संपन्न होना संभव हो सकता है l आचार्य श्री ने कहा है --- लोकमानस की शुद्धि का महान भार वाचालों के नहीं , तपस्वियों के कन्धों पर रहेगा l युग की आवश्यकता ऐसे तपस्वियों की प्रतीक्षा कर रही है l
आज के वातावरण में आसुरी तत्व बड़ी मात्रा में उत्पन्न हो रहे हैं l अनीति , अन्याय , अधर्म और अकर्म का चारों ओर बोलबाला है ल स्वार्थ , पाप , वासना , तृष्णा और अहंकार की तूती बोल रही है l एक दूसरे का शोषण कर के , सताकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने को लोग कटिबद्ध हैं l प्रेम , उदारता , सह्रदयता , संवेदना , सेवा और सज्जनता की मात्रा दिन - दिन घटती जा रही है l फलस्वरूप ऐसी घटनाओं की बाढ़ आ रही है जिनमे चीत्कार और हाहाकार की भरमार रहती है l इस से पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है l ये दुष्प्रवृत्तियां इसी प्रकार बढ़ती रहीं तो प्रकृति के सामूहिक दंड से बचना मुश्किल है , मानव सभ्यता खतरे में पड़ जाएगी l
विज्ञान ने भी मनुष्य के हाथ में विनाश की बड़ी शक्ति ' एटमी शक्ति ' दे दी है l किसी सिरफिरे का छोटा सा पागलपन कुछ ही क्षणों में संसार के लिए तबाही उत्पन्न कर सकता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा है --- लोक मानस में से दुष्प्रवृत्तियों को हटाकर उनके स्थान पर सत्प्रवृत्तियों की स्थापना अनिवार्य है l यह कार्य आत्मशक्ति से संपन्न लोकनायक और मार्गदर्शक ही कर सकते हैं l मस्तिष्क की वाणी मस्तिष्क तक पहुँचती है और आत्मा की आत्मा तक l
अंत:करण में जमी हुई आस्था में हेरफेर करने का कार्य ज्ञान से नहीं आत्म शक्ति से ही संपन्न होना संभव हो सकता है l आचार्य श्री ने कहा है --- लोकमानस की शुद्धि का महान भार वाचालों के नहीं , तपस्वियों के कन्धों पर रहेगा l युग की आवश्यकता ऐसे तपस्वियों की प्रतीक्षा कर रही है l
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