जब किसी व्यक्ति की प्रशंसा अपना स्वार्थ साधने के लिए , अपना काम निकालने के लिए , देश - काल - परिस्थितियों का ज्ञान किए बगैर की जाती है तो उसे चाटुकारिता कहते हैं l चाटुकारिता प्रिय इनसान बिना विचारे अपनी प्रशंसा करने वाले पर मेहरबान हो जाता है l राजतन्त्र में राजा को खुश करने के लिए विशेष रूप से विशेषज्ञ चाटुकारों की व्यवस्था की जाती थी l
वर्तमान समय में विभिन्न संस्थाओं में , आफिसों में , कार्पोरेट सेक्टर में और नेताओं को उनसे नीचे ओहदे वाले , चाटुकारी कर के अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं l मनुष्य की अपनी कमजोरियां हैं , वह झूठी प्रशंसा सुनकर फूला नहीं समाता l
अपने आका की हाँ में हाँ मिलाना भी चाटुकारिता है l अकबर बीरबल का एक संवाद है --- अकबर ने कहा ---- " बैंगन कितना सुन्दर है l " बीरबल ने कहा --- " हाँ , महाराज ! देखिए , यह कितना सुन्दर है ! इसके सिर पर मुकुट जैसा ताज है l "
फिर अकबर ने कहा --- " बैंगन भी कोई सब्जी है भला ! '
बीरबल ने उसी अंदाज में जवाब दिया --- " महाराज ! बैंगन कितना काला - कलूटा है l यह तो बेपेंदी के लोटे के समान जिधर लुढ़का दो , लुढ़क जाता है l "
जब व्यक्ति में विवेक होगा , तभी वह सच्चाई को समझ सकेगा l
वर्तमान समय में विभिन्न संस्थाओं में , आफिसों में , कार्पोरेट सेक्टर में और नेताओं को उनसे नीचे ओहदे वाले , चाटुकारी कर के अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं l मनुष्य की अपनी कमजोरियां हैं , वह झूठी प्रशंसा सुनकर फूला नहीं समाता l
अपने आका की हाँ में हाँ मिलाना भी चाटुकारिता है l अकबर बीरबल का एक संवाद है --- अकबर ने कहा ---- " बैंगन कितना सुन्दर है l " बीरबल ने कहा --- " हाँ , महाराज ! देखिए , यह कितना सुन्दर है ! इसके सिर पर मुकुट जैसा ताज है l "
फिर अकबर ने कहा --- " बैंगन भी कोई सब्जी है भला ! '
बीरबल ने उसी अंदाज में जवाब दिया --- " महाराज ! बैंगन कितना काला - कलूटा है l यह तो बेपेंदी के लोटे के समान जिधर लुढ़का दो , लुढ़क जाता है l "
जब व्यक्ति में विवेक होगा , तभी वह सच्चाई को समझ सकेगा l
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