मर्यादा में रहने पर शक्ति , विजय , कीर्ति और विभूतियाँ उपलब्ध होती हैं l उनसे विचलित होने पर ही अनिष्ट होता है l मानवीय मर्यादाओं के उल्लंघन के कारण ही आज मानव एवं समाज की दुर्दशा हुई है l
भगवान राम के पास अतुलनीय शक्ति थी l उनके पास ऐसे दिव्यास्त्र थे कि पल भर में ही रावण एवं लंका की सभी आसुरी शक्ति को ढेर कर सकते थे , परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया l सामान्य रूप से अधिक शक्ति का अर्जन अहंकार को जन्म देता है l शक्ति का प्रदर्शन इसी दर्प का परिणाम है l रावण इसी का जीता जागता रूप था l रावण ने शक्ति का अर्जन बहुत किया था , परन्तु वह उसका लोक कल्याण के लिए उपयोग करना भूल गया l वह अपने अहंकार के प्रदर्शन में और मर्यादाओं को छिन्न - भिन्न करने में लग गया , इसलिए उसका अंत मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के हाथों हुआ l
भगवान राम ने शक्ति का उपयोग लोकहित में किया , नीति की स्थापना के लिए किया ताकि लोग इस राह पर चलकर स्वयं को धन्य मान सकें l यही तत्व संसार में यश और कीर्ति बढ़ाने वाला होता है l यही कारण है भगवन राम आज भी जन - जन के मन में बसे हैं l
भगवान राम के पास अतुलनीय शक्ति थी l उनके पास ऐसे दिव्यास्त्र थे कि पल भर में ही रावण एवं लंका की सभी आसुरी शक्ति को ढेर कर सकते थे , परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया l सामान्य रूप से अधिक शक्ति का अर्जन अहंकार को जन्म देता है l शक्ति का प्रदर्शन इसी दर्प का परिणाम है l रावण इसी का जीता जागता रूप था l रावण ने शक्ति का अर्जन बहुत किया था , परन्तु वह उसका लोक कल्याण के लिए उपयोग करना भूल गया l वह अपने अहंकार के प्रदर्शन में और मर्यादाओं को छिन्न - भिन्न करने में लग गया , इसलिए उसका अंत मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के हाथों हुआ l
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