इस दुनिया में अधिकतर क्लेश - कलह व झगड़ों का कारण व्यक्ति की वाणी है l कठोर वचन उस पत्थर की तरह कठोर होते हैं जो अपने प्रहार से उनके अंतर्मन में ऐसे घाव अवश्य छोड़ जाते हैं , जिन्हे भर पाना संभव नहीं होता l
द्रोपदी सहज परिहास में भूल गई कि दुर्योधन को ' अंधों के अंधे --- ' सम्बोधन से अपमान का अनुभव हो सकता है l दुर्योधन द्वेष वश नारी के शील का महत्व भूल गया , अपनी ही कुलवधू को अपमानित करने लगा l
ऋषियों का कहना है कि हम अपनी वाणी पर संयम रखें , गलती होने पर क्षमा - याचना करें l दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिनका अपनी वाणी पर बिलकुल भी संयम नहीं है l उनके मन में जो भी आता है बोल देते हैं l वाणी की अभिव्यक्ति होने के साथ - साथ व्यवहार का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी होता है l यदि वाणी के कहे अनुसार हम कार्य नहीं करते और उसके अनुरूप उचित व्यवहार नहीं करते तो मनुष्य की प्रमाणिकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है l इसलिए हमारे समाज में वचन , प्रतिज्ञा व संकल्प का बहुत महत्व है l
द्रोपदी सहज परिहास में भूल गई कि दुर्योधन को ' अंधों के अंधे --- ' सम्बोधन से अपमान का अनुभव हो सकता है l दुर्योधन द्वेष वश नारी के शील का महत्व भूल गया , अपनी ही कुलवधू को अपमानित करने लगा l
ऋषियों का कहना है कि हम अपनी वाणी पर संयम रखें , गलती होने पर क्षमा - याचना करें l दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिनका अपनी वाणी पर बिलकुल भी संयम नहीं है l उनके मन में जो भी आता है बोल देते हैं l वाणी की अभिव्यक्ति होने के साथ - साथ व्यवहार का ध्यान रखना भी बहुत जरुरी होता है l यदि वाणी के कहे अनुसार हम कार्य नहीं करते और उसके अनुरूप उचित व्यवहार नहीं करते तो मनुष्य की प्रमाणिकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है l इसलिए हमारे समाज में वचन , प्रतिज्ञा व संकल्प का बहुत महत्व है l
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