असुरों ने अपने बुद्धि कौशल से देवताओं को इक्कीस बार पराजित किया और प्रत्येक बार इन्द्रासन पर प्रतिष्ठित हुए , किन्तु हर बार वे दीर्घकाल तक देवलोक के स्वामी न बने रह सके और अंतत : स्वर्ग छोड़ने को विवश हुए l देवर्षि नारद ने प्रजापति ब्रह्मा से पूछा --- " तात ! विजयी होने पर भी असुर इन्द्रासन पर अपना अधिकार क्यों न रख सके ? "
ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया --- " पुत्र ! छल और छद्म से ऐश्वर्य तो प्राप्त किया जा सकता है , परन्तु उसका उपभोग विवेकवान एवं संयमी पुरुष ही कर पाते हैं l संयम की उपेक्षा करने वाले असुर जीतने पर भी इन्द्रासन पर एकाधिकार कैसे कर सकते थे l
ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया --- " पुत्र ! छल और छद्म से ऐश्वर्य तो प्राप्त किया जा सकता है , परन्तु उसका उपभोग विवेकवान एवं संयमी पुरुष ही कर पाते हैं l संयम की उपेक्षा करने वाले असुर जीतने पर भी इन्द्रासन पर एकाधिकार कैसे कर सकते थे l
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