पं. श्री राम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- " मैं ! मैं ! सारी दुनिया इस मैं के कारण ही पागल है l यह ' मैं ' एक काला विषधर सांप है l इस महा विषैले सर्प ने जिसको डस लिया उसकी खैर नहीं l अहं का विष ही सारी पीड़ाओं का कारण है l जितना बड़ा अहंकार उतनी बड़ी पीड़ा l "
आचार्य श्री कहते हैं ---- " सम्मान , प्रसिद्धि , यश , बड़ा आदमी होने का स्वांग , ये सब अहंकार के ही विभिन्न रूप हैं l अहंकारी व्यक्ति को सुखी करना असंभव है
आचार्य श्री कहते हैं ---- " सम्मान , प्रसिद्धि , यश , बड़ा आदमी होने का स्वांग , ये सब अहंकार के ही विभिन्न रूप हैं l अहंकारी व्यक्ति को सुखी करना असंभव है
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