गुरु गोविन्द सिंह ने जन - शक्ति को जाग्रत कर एक विशाल संगठन खड़ा किया , उनका कहना था कि यदि अपने उद्देश्य के प्रति हम सब एक निष्ठावान रहे तो निश्चय ही आततायियों को परास्त कर उन्हें रास्ते पर आने के लिए विवश कर सकेंगे l
संगठन का सूत्रपात करने के बाद उनका मानसिक तथा बौद्धिक विकास करने के लिए प्रचार कार्य शुरू किया l उसके लिए उन्होंने सैकड़ों विद्वानों तथा शिक्षकों को नियुक्त किया l उन्होंने स्वयं हिंदी , संस्कृत , फारसी आदि अनेक भाषाएँ पढ़ीं और जनता को भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया l उन्होंने सैकड़ों अनुयायियों को विद्दा - अध्ययन के लिए काशी भेजा l जो वहां से विद्वान् बन कर आये , वे जनता में शिक्षण का कार्य करने लगे l इसके अतिरिक्त उन्होंने जगह - जगह रामायण , महाभारत तथा भागवत की कथाएं बिठाईं और निरंतर उनका वाचन कराया l प्रशिक्षित पंडित जनता को भगवान राम , कृष्ण तथा अन्य महापुरुषों की चरित्र व्याख्या करते हुए जनता को वैसा बनने की प्रेरणा देते l
उन्होंने जनता में चन्द्रगुप्त , विक्रमादित्य , स्कंदगुप्त , समुद्रगुप्त तथा अशोक जैसे राजाओं के इतिहास का प्रचार किया और हतोत्साह जनता को अपने अतीत के गौरव का भान कराया जिससे उनका हीनता का भाव दूर होने लगा , उनमे नवीन जाग्रति आई l
संगठन का सूत्रपात करने के बाद उनका मानसिक तथा बौद्धिक विकास करने के लिए प्रचार कार्य शुरू किया l उसके लिए उन्होंने सैकड़ों विद्वानों तथा शिक्षकों को नियुक्त किया l उन्होंने स्वयं हिंदी , संस्कृत , फारसी आदि अनेक भाषाएँ पढ़ीं और जनता को भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया l उन्होंने सैकड़ों अनुयायियों को विद्दा - अध्ययन के लिए काशी भेजा l जो वहां से विद्वान् बन कर आये , वे जनता में शिक्षण का कार्य करने लगे l इसके अतिरिक्त उन्होंने जगह - जगह रामायण , महाभारत तथा भागवत की कथाएं बिठाईं और निरंतर उनका वाचन कराया l प्रशिक्षित पंडित जनता को भगवान राम , कृष्ण तथा अन्य महापुरुषों की चरित्र व्याख्या करते हुए जनता को वैसा बनने की प्रेरणा देते l
उन्होंने जनता में चन्द्रगुप्त , विक्रमादित्य , स्कंदगुप्त , समुद्रगुप्त तथा अशोक जैसे राजाओं के इतिहास का प्रचार किया और हतोत्साह जनता को अपने अतीत के गौरव का भान कराया जिससे उनका हीनता का भाव दूर होने लगा , उनमे नवीन जाग्रति आई l
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