दो वैज्ञानिकों आर. डेविडसन और पी. एरिक्सन ने एक प्रयोग संपन्न किया l इसमें उन्होंने 400 व्यक्ति लिए l इनमे से 200 ऐसे थे , जिनकी अध्यात्म के प्रति आस्था थी , जो संयमी , सदाचारी जीवन जीते थे l इसके विपरीत 200 ऐसे थे , जो भोग - विलास में , शराबखानों - जुआघरों में समय बिताते थे l
लगातार दस वर्षों के अध्ययन के बाद उनने पाया कि जिनकी अध्यात्म के प्रति आस्था थी , संयमी - सदाचारी थे , वे बीमार कम होते हैं l उन्हें अनावश्यक तनाव , दुश्चिंताएँ कम होती है l बीमार होने पर भी जल्दी ठीक हो जाते हैं l
इसके विपरीत विलासी मनोभूमि वालों की जीवनी शक्ति नष्ट होती रहने के कारण उन्हें बीमारियाँ निरंतर घेरे रहती हैं l तनाव , दुश्चिंता, उत्तेजना , आवेग तो उनका स्वभाव ही होता है l
दोनों वैज्ञानिकों के इस निष्कर्ष ने आध्यात्मिक जीवन शैली की ओर सभी का ध्यान खींचा l इस शोध अध्ययन को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है l
लगातार दस वर्षों के अध्ययन के बाद उनने पाया कि जिनकी अध्यात्म के प्रति आस्था थी , संयमी - सदाचारी थे , वे बीमार कम होते हैं l उन्हें अनावश्यक तनाव , दुश्चिंताएँ कम होती है l बीमार होने पर भी जल्दी ठीक हो जाते हैं l
इसके विपरीत विलासी मनोभूमि वालों की जीवनी शक्ति नष्ट होती रहने के कारण उन्हें बीमारियाँ निरंतर घेरे रहती हैं l तनाव , दुश्चिंता, उत्तेजना , आवेग तो उनका स्वभाव ही होता है l
दोनों वैज्ञानिकों के इस निष्कर्ष ने आध्यात्मिक जीवन शैली की ओर सभी का ध्यान खींचा l इस शोध अध्ययन को बड़ा महत्वपूर्ण माना जाता है l
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