11 April 2020

WISDOM ----- अहंकार के कारण ही मनुष्य जाति हिंसा और विनाश की शिकार हुई है

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- ' इस  अहंकार  से  मनुष्य  जाति   का  जितना  अहित  हुआ  है  ,  उतना  अब  तक  किसी  और  कारण  से  नहीं  हुआ  है  l   न  भूख  से ,  न  बीमारी  से , न  बाढ़  से ,  न  सूखे  से  ,  न  रोग  से ,  न  दुर्बलता  से  ---- इनमे  से  किसी  भी  कारण  से    इतने  लोग  बरबाद   नहीं  हुए  ,  जितने  कि   अहं   के  टकराव  के  कारण  विनष्ट  हुए  हैं   l  '
  संसार  में   जितने  भी  द्वंद ,  संघर्ष   अथवा  युद्ध  हुए  हैं ,  या  हो  रहे  हैं   उनके  मूल  में  हमेशा  ' अहंकार ' ही  रहा  है  l   दो  व्यक्तियों  या  दो  परिवारों  के  बीच  की  लड़ाई  हो  अथवा   दो  राष्ट्रों  के  बीच  छिड़ने  वाला  महायुद्ध  हो   उनके  पीछे  वास्तविकता  है  --- अहंकार , आधिपत्य  ज़माने  की   आकांक्षा  और  प्रतिद्वंदी  से  अपने  आपको  ज्यादा  शक्तिशाली  दिखलाने  की  चाहत   l
 अहंकर  के  कारण  ही  मनुष्य  का  घोर  नैतिक  पतन  भी  हुआ  है   l   स्वार्थ , संकीर्णता ,  अनुदारता , दूसरे  का  हक  छीनना ,  अनीति ,  अनाचार  -- इन  सब  दुर्गुणों  का  एकमात्र  कारण  अहंकार  ही  है   l
  आचार्य श्री  कहते  हैं ---- ' अहंकार  की  तुष्टि  किसी  चीज  को  पाने  से  नहीं  ,  बल्कि  उस  चीज  को   दूसरे  की  तुलना  में  ज्यादा  पाने  से  होती  है  l  अहंकारी  स्वयं  को  दूसरों  से  श्रेष्ठ  सिद्ध  करना  चाहता  है  l
 इसी  कारण  लोग  लोभ  करते  हैं  ताकि  दूसरे  से  संपन्न  दिख  सकें  l   इसी  कारण  दूसरों  को  मुर्ख  बनाना  चाहते  हैं  ,  ताकि  स्वयं  को  बुद्धिमान  सिद्ध  कर  सकें  l
  आचार्य श्री  कहते  हैं --- ' इस  सत्य  पर  बार - बार  विचार  किया  जाना  चाहिए  कि   समस्त  सृष्टि  में  सबसे  महत्वपूर्ण  और  सर्वोपरि  ईश्वर  है   l
हम  कितने  भी  शक्तिशाली  हो  जाएँ  प्रकृति  पर  विजय  प्राप्त  नहीं  कर  सकते  l 

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