महाभारत का प्रसंग है ----- महाराज युधिष्ठिर से यक्ष ने प्रश्न पूछा ---- इस संसार का परम आश्चर्य क्या है ?
युधिष्ठिर का उत्तर था ---- ' सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मृत्यु को सुनिश्चित घटना के रूप में देखकर भी मनुष्य इसे अनदेखा करता है l वह मृत्यु की नहीं , जीवन की तैयारी कुछ इस अंदाज में करता है , जैसे विश्वास हो कि वह कभी मरेगा नहीं l उसे सदा - सदा जीवित रहना है l '
मृत्यु अनिवार्य घटना है , इसे रोज देखते हुए भी स्वीकार नहीं किया जाता l वैज्ञानिक समुदाय ऐसी दवाओं की खोज में तत्पर रहता है जिनसे रोग , बुढ़ापा और मृत्यु को रोका जा सके l लेकिन उन्हें इसमें आज तक कोई सफलता नहीं मिली l
पुराणों में ऐसी कथाएं हैं कि अनेक लोगों ने कठोर तपस्या कर के अमरता का वरदान चाहा लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ l
जन्म और मरण ईश्वर के हाथ में है l हमारा जन्म कहाँ , किस धर्म , जाति या समुदाय में होना है , इस पर हमारा कोई वश नहीं होता l इसी तरह हमें श्वास गिनती की मिली है l एक तरह से यह हमें जमा पूंजी के रूप में मिली है , मनुष्य जन्म सौभाग्य से मिला है , अब यह हमारे हाथ में है कि इस जमा पूंजी को हम क्रोध आदि बुरी आदतों में जल्दी गँवा देते हैं या प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर स्वस्थ और सुन्दर जीवन जीते है l
युधिष्ठिर का उत्तर था ---- ' सबसे बड़ा आश्चर्य है कि मृत्यु को सुनिश्चित घटना के रूप में देखकर भी मनुष्य इसे अनदेखा करता है l वह मृत्यु की नहीं , जीवन की तैयारी कुछ इस अंदाज में करता है , जैसे विश्वास हो कि वह कभी मरेगा नहीं l उसे सदा - सदा जीवित रहना है l '
मृत्यु अनिवार्य घटना है , इसे रोज देखते हुए भी स्वीकार नहीं किया जाता l वैज्ञानिक समुदाय ऐसी दवाओं की खोज में तत्पर रहता है जिनसे रोग , बुढ़ापा और मृत्यु को रोका जा सके l लेकिन उन्हें इसमें आज तक कोई सफलता नहीं मिली l
पुराणों में ऐसी कथाएं हैं कि अनेक लोगों ने कठोर तपस्या कर के अमरता का वरदान चाहा लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ l
जन्म और मरण ईश्वर के हाथ में है l हमारा जन्म कहाँ , किस धर्म , जाति या समुदाय में होना है , इस पर हमारा कोई वश नहीं होता l इसी तरह हमें श्वास गिनती की मिली है l एक तरह से यह हमें जमा पूंजी के रूप में मिली है , मनुष्य जन्म सौभाग्य से मिला है , अब यह हमारे हाथ में है कि इस जमा पूंजी को हम क्रोध आदि बुरी आदतों में जल्दी गँवा देते हैं या प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर स्वस्थ और सुन्दर जीवन जीते है l
No comments:
Post a Comment