10 April 2020

WISDOM ----- ' मन के हारे हार है , मन के जीते जीत '

  दो  पड़ोसी   राजा   थे ,  दोनों  ही  सत्यनिष्ठ  और  माता  भगवती  के  उपासक  थे  l   एक  दिन  दोनों  में   इस  विषय    पर  बहस  छिड़  गई   कि   दुनिया  में  सबसे  शक्तिशाली  कौन  ?
  कुछ   निर्णय  न  होता  देख    दोनों  ऋषि   सुक्षीण   के  पास  पहुंचे  l  ऋषि  ने  दोनों  का  सत्कार  किया   और  उनकी  जिज्ञासा  सुनी   l   उनका  प्रश्न  सुनकर  ऋषि  बोले ---- "  राजन  !  दुनिया  में  सबसे  शक्तिशाली   और  सबसे  कमजोर   ' मन '  ही  है   l   जिसका  अपने  मन  पर  सम्पूर्ण  अधिकार  हो  जाता  है  ,  उसके  आगे  शक्ति - सामर्थ्य  के  सारे  मार्ग  खुल  जाते  हैं   और  जो  अपने  मन  को  ही   काबू  में  नहीं  कर  पाता   वो  दीन - दुर्बल   और  असहाय  बना  रहता  l  "
  पं. श्रीराम   शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- प्रकृति  की  छाँव  में  रहने  वाले  जानवर  कभी  बीमार  नहीं  पड़ते  ,  लेकिन  आदमी  बीमार  पड़ता  है  और  उसके   साथ  रहने  वाले  जानवर  भी  बीमार  पड़ते  हैं  l
वे  कहते  हैं --- अस्पताल  में   टी. बी.  के  मरीजों  के  कपड़े  धोने  वाले  सब  धोबियों  को  यह  बीमारी  होती  ही  नहीं  l   तब  वायरस  कहाँ  चले  जाते  हैं  ? 
  आचार्य श्री  अपने  उद्बोधन  में  कहते  हैं ---- ' ये  सारे  कीटाणु  असंयम  से  आते  हैं  l   मनुष्य  अपनी  जीभ  की  नोंक  से    अपनी  कब्र  तैयार  करता  है  l   मनुष्य  संयम - नियम  का  पालन  न  कर  के  अपनी  ऊर्जा  गंवाता  है  l  प्रतिरोधक  शक्ति  न  होने  से  वायरस व  कीटाणु  उसको  जकड़  लेते  हैं  l   भीष्म पितामह , श्रीहनुमानजी ,  स्वामी  दयानन्द  सरस्वती  आदि  अनेकों  महापुरुषों  ने  संयम  से  ही  शक्ति  प्राप्त  की   और  महान  कार्य  किये  l 

No comments:

Post a Comment