सद्बुद्धि के अभाव में मनुष्य वह कार्य करने लगता है जो उसे नहीं करने चाहिए l कवि ने कहा भी है --- ' जब नाश मनुज पर छाता है , पहले विवेक मर जाता है l '
हम इतिहास उठाकर देखें तो ज्ञात होता है कितनी सभ्यताएं , कितनी जाति , प्रजातियां विलुप्त हो गईं l इन सबके पीछे मनुष्य की दुर्बुद्धि ही रही होगी कि वह प्रकृति के संकेतों को नहीं समझ सका , स्वयं को ईश्वर से भी बड़ा समझा l
मनुष्य में इतना अहंकार है कि वह कुछ समझना ही नहीं चाहता l महाभारत में प्रसंग है ---- स्वयं भगवान कृष्ण दुर्योधन को समझाने गए कि तुम पांडवों को केवल पांच गाँव दे दो l लेकिन वह नहीं माना और कहने लगा कि मैं सुई की नोक बराबर भूमि भी नहीं दूंगा l अहंकार इतना बढ़ा कि भगवान को ही बाँधने चला l उसके इस अहंकार ने पूरे कौरव वंश का अंत कर दिया l
मनुष्य कितना ही संपन्न और कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो जाये , यह सद्बुद्धि उसे तभी मिलेगी जब वह अपने अहंकार को मिटाएगा , सेवा और सत्कर्म करेगा l
हम अपने अहंकार को छोड़ें और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें l
हम इतिहास उठाकर देखें तो ज्ञात होता है कितनी सभ्यताएं , कितनी जाति , प्रजातियां विलुप्त हो गईं l इन सबके पीछे मनुष्य की दुर्बुद्धि ही रही होगी कि वह प्रकृति के संकेतों को नहीं समझ सका , स्वयं को ईश्वर से भी बड़ा समझा l
मनुष्य में इतना अहंकार है कि वह कुछ समझना ही नहीं चाहता l महाभारत में प्रसंग है ---- स्वयं भगवान कृष्ण दुर्योधन को समझाने गए कि तुम पांडवों को केवल पांच गाँव दे दो l लेकिन वह नहीं माना और कहने लगा कि मैं सुई की नोक बराबर भूमि भी नहीं दूंगा l अहंकार इतना बढ़ा कि भगवान को ही बाँधने चला l उसके इस अहंकार ने पूरे कौरव वंश का अंत कर दिया l
मनुष्य कितना ही संपन्न और कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो जाये , यह सद्बुद्धि उसे तभी मिलेगी जब वह अपने अहंकार को मिटाएगा , सेवा और सत्कर्म करेगा l
हम अपने अहंकार को छोड़ें और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें l
No comments:
Post a Comment