मनुष्य स्वयं जाने - अनजाने में अपने को मारने का प्रयास कर रहा है l कुछ समय पूर्व बीमारियाँ गंदगी और कुपोषण की वजह से होती थीं l हैजा आदि से कई गाँव , शहर समाप्त हो जाते थे l आज संसार में जो भी समस्या है उसके मूल में कारण विज्ञान है l कहते हैं ज्योतिषी किसी का भाग्य देखते हैं , यदि कुछ अशुभ होता है , तो वे उसे बताते नहीं , अपने मन में रखते हैं l
यही बात वैज्ञानिक आविष्कारों पर लागू हो तो मनुष्य सुख - शांति से जी सकता है l
वैज्ञानिक अच्छी तरह जानते हैं कि कौन सी तकनीक वायुमंडल को प्रदूषित कर देगी , उससे निकलने वाली अदृश्य रेडिएशन मनुष्यों के अस्तित्व के लिए खतरनाक हैं l कौनसे खाद , बीज , कीटनाशक जमीन को बंजर कर देंगे , परमाणु - शक्ति पशु - पक्षी , वनस्पति , मानव सभी के लिए हानिकारक हैं , तो ज्योतिषियों की भांति यह ज्ञान उन्हें अपने हृदय में ही रखना चाहिए l इस संसार में भांति - भांति के लोग हैं l कुछ लोग बहुत महत्वकांक्षी होते हैं , वे वैज्ञानिकों के इस ज्ञान को खरीद कर , उसका उपयोग अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए करते हैं l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' महत्वाकांक्षा विकृत होकर घृणित रूप ले लेती है l '
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब , बीमार हो या स्वस्थ , वृद्ध हो या युवा , किसी भी जाति , किसी भी धर्म का हो सब जीना चाहते हैं और सभी अपने हिसाब से अपने जीवन की रक्षा करते हैं l पशु - पक्षी भी अपनी रक्षा करना जानते हैं , उन्हें किसी के आदेश की , किसी से कुछ सीखने की आवश्यकता नहीं होती l
अध्यात्म में कोई रूचि और विश्वास न होने के कारण ऐसे महत्वाकांक्षी व्यक्ति अपनी शक्ति , धन और बुद्धि का उपयोग लोगों पर अपनी हुकूमत कायम करने के लिए करते हैं l ईश्वरीय सत्ता को नकार कर प्रकृति को भी अपने ढंग से चलाना चाहते हैं l इसी का दुष्परिणाम हम संसार में विभिन्न आपदाओं के रूप में देखते हैं l जब तक बुद्धिजीवी , विचारशील वर्ग आधुनिक तकनीकी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक नहीं होगा , संसार इसी तरह अपनी मृत्यु , आत्महत्या , पागलपन , तनाव और घातक बीमारियों के साधन जुटाता रहेगा l
यही बात वैज्ञानिक आविष्कारों पर लागू हो तो मनुष्य सुख - शांति से जी सकता है l
वैज्ञानिक अच्छी तरह जानते हैं कि कौन सी तकनीक वायुमंडल को प्रदूषित कर देगी , उससे निकलने वाली अदृश्य रेडिएशन मनुष्यों के अस्तित्व के लिए खतरनाक हैं l कौनसे खाद , बीज , कीटनाशक जमीन को बंजर कर देंगे , परमाणु - शक्ति पशु - पक्षी , वनस्पति , मानव सभी के लिए हानिकारक हैं , तो ज्योतिषियों की भांति यह ज्ञान उन्हें अपने हृदय में ही रखना चाहिए l इस संसार में भांति - भांति के लोग हैं l कुछ लोग बहुत महत्वकांक्षी होते हैं , वे वैज्ञानिकों के इस ज्ञान को खरीद कर , उसका उपयोग अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए करते हैं l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' महत्वाकांक्षा विकृत होकर घृणित रूप ले लेती है l '
इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति चाहे अमीर हो या गरीब , बीमार हो या स्वस्थ , वृद्ध हो या युवा , किसी भी जाति , किसी भी धर्म का हो सब जीना चाहते हैं और सभी अपने हिसाब से अपने जीवन की रक्षा करते हैं l पशु - पक्षी भी अपनी रक्षा करना जानते हैं , उन्हें किसी के आदेश की , किसी से कुछ सीखने की आवश्यकता नहीं होती l
अध्यात्म में कोई रूचि और विश्वास न होने के कारण ऐसे महत्वाकांक्षी व्यक्ति अपनी शक्ति , धन और बुद्धि का उपयोग लोगों पर अपनी हुकूमत कायम करने के लिए करते हैं l ईश्वरीय सत्ता को नकार कर प्रकृति को भी अपने ढंग से चलाना चाहते हैं l इसी का दुष्परिणाम हम संसार में विभिन्न आपदाओं के रूप में देखते हैं l जब तक बुद्धिजीवी , विचारशील वर्ग आधुनिक तकनीकी के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक नहीं होगा , संसार इसी तरह अपनी मृत्यु , आत्महत्या , पागलपन , तनाव और घातक बीमारियों के साधन जुटाता रहेगा l
No comments:
Post a Comment