छोटे - छोटे जीव - जंतु भी अपने जीवन को सहज - सरल व सुखद बनाने के लिए अनेकों विधियाँ ढूंढते हैं l चींटी , दीमक , मधुमक्खी जैसे छोटे जीवों ने न जाने कितने युगों पहले से समूह में , सहयोग - सहकार से रहना सीख लिया लेकिन मनुष्य क्योंकि बुद्धिमान है , ज्ञानी है इस काम को अभी तक नहीं सीख पाया l मनुष्य में स्वार्थ , अहंकार , लालच इतना है कि वह स्वयं अपनी सामूहिकता का विनाश कर लेता है l सामूहिक भावना के विनाश के लिए उसके पास अनेकों तर्क है जैसे ---- भाषा , जाति , धर्म , क्षेत्रीयता , ऊंच - नीच , काले - गोरे ---- ऐसे विभिन्न तर्कों के आधार पर मनुष्यों ने ही अपनी बुद्धि का दुरूपयोग कर समूह भावना का विनाश कर लिया अब स्वार्थी तत्व इसी फूट का लाभ उठाते हैं l
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