महान संत सूरदास जी के जीवन की घटना है -- एक बार वे हरिनाम गाते हुए जा रहे थे l नेत्रहीन होने के कारण वे मार्ग में एक गहरे कुएं में गिर गए l सुनसान क्षेत्र था l आसपास कोई व्यक्ति भी नहीं था , जो उनकी मदद करता l वे बार - बार आवाज भी लगाए जा रहे थे और ईश्वर का स्मरण भी करते जा रहे थे l थोड़ी देर बाद एक बालक ने कुएं में प्रवेश कर के उन्हें सकुशल बाहर निकाला l उस बालक के पावन स्पर्श से वे पहचान गए कि वह बालक और कोई नहीं , वरन उनके आराध्य स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं , जो उन्हें बचाने आये हैं l उन्होंने उनका हाथ पकड़ लिया l कहने पर भी सूरदास जी उनका हाथ नहीं छोड़ रहे थे l भगवान ने झटके से हाथ छुड़ा लिया और चलने लगे l इस पर सूरदास जी ने कहा ---- ' हाथ छुड़ाये जात हो , निबल जान के मोहि l हिरदय से जब जाओगे, मरद कहोंगो तोहि l l सूरदास जी के इन वचनों को सुनकर भगवान श्रीकृष्ण फिर सदा उनके साथ ही रह गए एवं उनके हृदय में निवास करने लगे l
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