गुरु नानक यात्रा पर थे तो उनसे किसी ने आकर पूछा --- " हिंदू और मुसलमान में कौन बड़ा ? " गुरु नानक जी ने उत्तर दिया ---- " धर्म का मर्म अच्छे कर्म करने में है l बड़ा वह कहलाता है जो अच्छे कर्म करता है l कोई धर्म के आधार पर बड़ा नहीं होता l कहने को खजूर का पेड़ भी बड़ा होता है , पर उससे किसी की भलाई नहीं होती है लेकिन तुलसी का पौधा बहुत छोटा होते हुए भी बहुत उपयोगी है , अनेक रोगों का नाश कर देता है l यदि बड़प्पन और महानता का आकलन करना हो तो व्यक्ति के कर्मों को देखो , वह किस संप्रदाय या मजहब को मानता है --- इससे उसके बड़प्पन का मूल्यांकन मत करो l " उस व्यक्ति ने फिर पूछा ---- " क्या अच्छे कर्म करने के लिए किसी धर्म को मानना जरुरी नहीं है ? " गुरु नानक जी बोले ---- " अच्छा कर्म करना ही धर्म है l अच्छे कर्म करने वालों को किसी धर्म को मानने की आवश्यकता नहीं है l "
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