नारी पर अत्याचार की गाथा कोई नई नहीं है , विभिन्न देश , विभिन्न समाज अपने अपने तरीके से नारी पर अत्याचार करते हैं l लेकिन हम जब संसार में शांति की बात करते हैं , अहिंसा की बात करते हैं , स्वयं को शांति प्रिय कहकर अन्य देशों पर आक्रमण नहीं करते , ऐसे में नारी पर अत्याचार की अनेक घटनाएं जो मनुष्य को पशु से भी निम्नतर स्तर पर ले जाती हैं , समाज के लिए कलंक हैं l नारी को अत्याचार सहते - सहते एक युग बीत गया l जिन जातियों ने स्वयं को श्रेष्ठ कहा उन्होंने ही सती - प्रथा के नाम पर नारी को जिन्दा जलाया l कन्या - वध के नाम पर बच्ची के पैदा होते ही उसे मार डाला l फिर बालिका भ्रूण हत्या l दहेज़ - प्रथा के नाम पर नारी पर अत्याचार , पारिवारिक हिंसा - उत्पीड़न ! पहले नारी पर अत्याचार एक सामाजिक बुराई थी लेकिन अब उसमे राजनीति भी जुड़ गई l बड़े - बड़े अपराधी अपनी अपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए छुटभैया लोगों की मदद लेते हैं , इसके बदले में उन्हें पैसा भी देते हैं और समाज में अपराध करने की खुली छूट l इसलिए पकड़े जाने पर भी अपराधी बच जाते हैं l इस तरह की घटनाएं कभी - कभी समाज में अपने वर्चस्व को स्थापित करने के लिए , लोगों में आतंक पैदा करने के लिए प्रायोजित भी होती हैं l समस्याएं जब बढ़कर एक वृक्ष की तरह विशाल हो गई हों , तब उसे समाप्त करने के लिए जड़ को ही काटना पड़ता है l इसके लिए समाज का संगठित और जागरूक होना जरुरी है l
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