9 October 2020

WISDOM -----

 पं. श्री राम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' हम  दूसरों  के  प्रति  जो  भी  बुरा  सोचते  हैं  ,  घृणा  व  नफरत  करते  हैं  ,  क्रोधित  होते  हैं ,  गुस्सा  करते  हैं  ,  वह  सब  अपने  मन  में  करते  हैं   l   ये  सब  कलुषित  भावनाएं  मन  में  होने  के  कारण   हमें  ही  ज्यादा  नुकसान  पहुँचाती   हैं  l   इन  सबके  कारण  दूसरे  व्यक्तियों  का   कोई  नुकसान  नहीं  होता  ,  बल्कि  हमारा  ही  अंतर्मन   इनकी  आग  से   जलने लगता  है   व  अशांत  होने  लगता  है  l   हमारी  ही  शांति  , हाहाकार  में  तब्दील  हो  जाती  है   और  ऐसी  स्थिति  में  हम  न  तो  कुछ  अच्छा  सोच  पाते   हैं  और  न  कुछ  अच्छा  कर  पाते  हैं   l   ऐसा  करने  से  हमारा  मन  कलुषित  हो  जाता  है  जिससे  हम  परमात्मा  से  भी  दूर  हो  जाते  हैं  l '  आचार्य श्री  का  कहना  था  --- ' कभी  भी  किसी  की  बुराई  को  अपनी  चर्चा  का  विषय   न बनाया  जाये  ,  क्योंकि  यदि  किसी  के  प्रति   थोड़ी  भी  बुराई  या   चर्चा   किसी  से  भी  की  जाती  है   तो  वह  वापस  लौटकर   कभी  न  कभी  ,  किसी  न  किसी  रूप  में  हमारे  पास  जरूर  आती  है  l '

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