केवल ताकत नहीं , सूझबूझ भी जरुरी है l ---- एक घना जंगल था l उसमें कई शूकर परिवार रहते थे l आक्रमणकारी सिंह एक ही था l वह जब चाहता , हमला करता और किसी भी शूकर को चट कर जाता l सब शूकर उस सिंह की वजह से बहुत परेशान व दुःखी थे l एक दिन बूढ़े शूकर ने अपने सभी स्व जातियों की एक गुपचुप सभा बुलाई और कहा --- " मरना है तो बहादुरी से क्यों न मरें ? रहना है तो मिलजुल कर क्यों न रहें ? " बात सभी को अच्छी लगी और वे उसकी योजना अनुसार चलने को राजी हो गए l दूसरे दिन तगड़े शूकरों का दल गठित किया गया और योजना बनी कि आक्रमण की प्रतीक्षा न कर के , शेर की माँद पर चलें और वहां उस पर हल्ला बोल दिया जाये l नई आशा , नई हिम्मत और बहादुरी के साथ तगड़े शुक्र चले और माँद में सोए हुए शेर पर बिजली की तरह टूट पड़े l शेर ने ऐसी मुसीबत पहले कभी नहीं देखी थी , उसने सोचा जंगल में भूतों का निवास है l वह जान बचा कर इतनी तेजी से भागा कि यह भी न देख सका कि हमला करने वाले कौन और कितने हैं l वह भयभीत हो गया और निश्चय किया कि अब कभी उस गाँव में नहीं लौटेगा l अपनी सूझबूझ से वे सब शूकर परिवार उस जंगल में आनंदपूर्वक रहने लगे l
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