' अखण्ड ज्योति ' में प्रकाशित एक लेख में आचार्य श्री ने गोलोकधाम में भगवान कृष्ण और श्रीराधा जी के संवाद के माध्यम से काल और कर्म की महत्ता को समझाया है l भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ----- " जब किसी का जन्म होता है तो वह अपने साथ में कर्मानुसार एक विशिष्ट भाग्य लेकर आता है तो वह भाग्य उसका पीछा तब तक नहीं छोड़ता , जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए l किसी भी तरह उस व्यक्ति के जीवन से उसके भाग्य को हटाया नहीं जा सकता l तपस्या के बल पर उसे कम किया जा सकता है l " श्रीराधा ने कहा --- प्रभु ! इसे और स्पष्ट कीजिए l " भगवान कहते हैं --- " भाग्य का भोग नियत समय तक ही होता है , उसे न तो बढ़ाया जा सकता है और न घटाया जा सकता है , इसलिए काल का बड़ा महत्व है l अत: धैर्यपूर्वक अपने भोग को भोग लेना ही श्रेयस्कर है l " श्रीराधा ने कहा ---- " मथुरा में कंस की अनीति और अत्याचार अपने चरम पर है ---- उससे सभी पीड़ित हैं l कंस ने स्त्रियों के मान - सम्मान को तार-तार कर दिया , कहीं किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही है l इन दिनों वह देवकी -वसुदेव को कारागृह में डालकर घोर यंत्रणा देने में लगा है l l " इसी बीच देवर्षि नारद ' नारायण ' का गान करते हुए गोलोकधाम में आ गए l उन्होंने कहा --- " हे नारायण ! कंस तो खड्ग उठाकर देवकी - वसुदेव का सर्वनाश करने चल पड़ा है l अब क्या होगा प्रभु ! " भगवान कृष्ण कहते हैं ---- " कंस के हाथों माता देवकी और पिता वसुदेव का अंत नहीं लिखा है l उनका इतना भोग नहीं बनता है कि उनको कंस के हाथों प्राण गँवाने पड़े l हे देवर्षि ! इस सृष्टि में काल और कर्म से बड़ा कोई नहीं है , कंस भी नहीं l काल और कर्म के अनुसार ही भोग का विधान बनता है l अच्छा और बुरा दोनों ही काल के द्वारा संचालित होते हैं l जो सत्कर्म करता है , काल उसको श्रेष्ठतम कर्म का माध्यम बनाकर प्रतिष्ठित कर देता है और जो दुष्कर्म का वाहक होता है , काल उसे भीषण दंड देता है l कंस को काल दण्डित करेगा l जब काल दण्डित करता है तो फिर उसे कोई बचा नहीं सकता l " श्रीराधा और देवर्षि दोनों ने ही कहा ---- ' प्रभु ! देवकी और वसुदेव की आप कंस के खड्ग से कैसे रक्षा करेंगे ? " इस बात पर भगवान कृष्ण मुस्करा दिए l कंस उन्मत होकर नंगी तलवार लेकर कारागार में उनको मारने के लिए पहुँच गया l देवकी और वसुदेव अपनी रक्षा का भार अपने पुत्र श्रीकृष्ण पर छोड़कर निश्चिन्त हो गए थे l जैसे ही कंस ने तलवार चलानी चाही , वहीँ एकाएक शेषनाग अपने सहायक फनों के साथ प्रकट हो फुफकारने लगे l इस अप्रत्याशित और भयावह घटना से कंस बेहोश होकर गिर गया l
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