पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- 'अपनी वास्तविकता को छिपाकर आवरण ओढ़कर , ढोंग व आडम्बर कर के जो कार्य किया जाता है , तुरंत तो वैसा करना लाभदायक दीखता है , लेकिन उसका परिणाम दुःखद ही होता है l इसलिए व्यक्ति को अपनी सच्चाई नहीं छुपानी चाहिए , आडम्बरयुक्त जीवन का चयन नहीं करना चाहिए l , बल्कि सच्चाई के साथ जीवन जीना चाहिए क्योंकि ऐसा जीवन ही व्यक्ति को वह आत्मबल प्रदान करता है जिसके माध्यम से वह आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश पा सकता है l ----------
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