धर्म का अर्थ है ---- सत्य और न्याय के पथ पर चलना , अत्याचार , अन्याय का विरोध करना l जो लोग अनैतिक और अमर्यादित कार्य कर रहे हैं , उनका विरोध करना , उन्हें ऐसा करने से रोकना धर्माचरण है l युगों से यही देखा गया है कि धर्म की बात करने वाले ही धर्म के विरुद्ध कार्य करते है , अत्याचारी और अन्यायी का समर्थन करते हैं l महाभारत में कुलगुरु कृपाचार्य धर्म की सूक्षम्ता को गहराई से जानते थे l कुलगुरु का कर्तव्य होता है कि कुल में धर्म की प्रतिष्ठा हो l लेकिन उन्होंने दुर्योधन की अनीति का कभी विरोध नहीं किया , जब द्रोपदी का चीरहरण हुआ तब भी वे खामोश रहे l प्रभावशाली लोग जब अत्याचार और अन्याय को होते देख चुप रहते हैं , तो इससे अत्याचारियों को और बढ़ावा मिलता है और उसका परिणाम महाभारत के रूप में सामने आता है l
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