पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ------ " विश्व -मानव को समृद्ध और सुखी बनाने के लिए नूतन आदर्श व सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वालों को काल की परिधि में नहीं बाँधा जा सकता l भविष्य के ये दृष्टा अपने गहन चिंतन के परिणामस्वरूप ऐसे सिद्धांत प्रतिपादित कर जाते हैं जो उनके समय में सर्वथा काल्पनिक व अव्यवहारिक लगते हैं , किन्तु आगे जाकर वे ही व्यवस्था में आते हैं l " सद विचार ही संसार में सर्वश्रेष्ठ हैं l सफल व्यक्ति अपने विचार तथा बाह्य कार्य में पर्याप्त समन्वय करने की अपूर्व क्षमता रखते हैं , अपने विचारों को जीवन देते हैं , उन्हें अपने जीवन में उतारते हैं l एक बार काका कालेलकर से किसी विदेशी ने पूछा --- " गांधीजी का देश के हर वर्ग पर इतना प्रभाव किन कारणों से पड़ा ? " काका ने कहा ---- " जो उनके मन में है , वही वाणी से कहते हैं और अपने क्रिया कलापों को सार्वजनिक हित में लगाते हैं l वे वही कहते हैं , जो करते हैं इसलिए वे विश्व भर में अनुकरणीय हैं l " कभी - कभी संसार में ऐसा वक्त आता है , लोगों पर दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तब वे अपनी सारी ऊर्जा श्रेष्ठता को मिटाने और सद विचारों को नष्ट करने में लगा देते हैं l स्वामी विवेकानंद ने विचारों की शक्ति का उल्लेख करते हुए लिखा है ---- " विचार जब किसी के व्यक्तित्व और आचरण में ठोस रूप लेते हैं , तब उनसे विराट शक्ति व महत परिणाम उत्पन्न होते हैं l कोई व्यक्ति भले ही किसी गुफा में जाकर विचार करे और विचार करते -करते ही वह मर जाये , तो भी वे विचार कुछ समय उपरांत गुफा की दीवारों का विच्छेद कर बाहर निकल पड़ेंगे और सर्वत्र फैल जायेंगे , तब सबको प्रभावित करेंगे l "
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