पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----- " यदि योगी के ह्रदय में अहिंसा प्रतिष्ठित हो जाये तो उसके सान्निध्य में प्राणी अपने प्राकृतिक वैर का त्याग कर देते हैं किन्तु मनुष्य में वैर उसकी मानसिक विकृतियों से उपजा है l इसलिए ईसा मसीह , सुकरात और महात्मा गाँधी जैसे महान पुरुष जिनका किसी से कोई वैर नहीं था , प्रकृति और प्राणियों द्वारा नहीं , बल्कि विकृत मनुष्यों द्वारा मारे गए l ' ईर्ष्या , द्वेष ऐसी मानसिक विकृति है कि जब यह बहुत गहन हो जाती है तो मनुष्य , ईश्वर और अवतार को भी पहचान नहीं पाता और उनसे भी ईर्ष्या करने लगता है , उन्हें हानि पहुँचाने की कोशिश करता है --------- भगवान बुद्ध का एक चचेरा भाई था --देवदत्त l वह भगवान बुद्ध से गहरी ईर्ष्या करता था l उसकी हमेशा यह कोशिश रहती थी कि कब उसे मौका मिले और कब वह तथागत की हत्या कर दे l कहा जाता है कि जब बुद्ध पहाड़ी के निकट वृक्ष के नीचे ध्यान कर रहे थे तो देवदत्त ने उन पर एक बड़ी सी चट्टान लुढ़का दी l पूरी संभावना थी कि बुद्ध कुचल जाते , लेकिन आश्चर्य ! न जाने कैसे चट्टान ने अपनी राह बदल दी और तथागत साफ बच गए l किसी ने पूछा --- " भगवन ! यह आश्चर्य कैसे घटित हुआ ? " तब उत्तर में बुद्ध ने कहा --- " एक चट्टान ज्यादा संवेदनशील है देवदत्त से , चट्टान ने अपना मार्ग बदल लिया l " असुरता , देवत्व को मिटाना चाहती है लेकिन अंत में जीत देवत्व की ही होती है l
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