12 February 2022

WISDOM ----

  श्रीमद्भगवद्गीता   में  भगवान  कहते   हैं  कि   संसार  में  समस्त  जीव  मेरे  ही   अंश  है   लेकिन   अपनी   इन्द्रियों  के  आकर्षण  में  वे  इस   सत्य    को  भूल  गए  हैं   l   '  यह  सत्य  है  कि   यदि  हम  विश्वास  करें  की  हम   ईश्वर  के  अंश  हैं ,  उनसे  हमारा  निकट  का  रिश्ता  है   तो  हमारे  क्रिया - कलाप  श्रेष्ठ  होंगे ,  हम  सन्मार्ग  का  ही  चयन  करेंगे   l   लेकिन  यदि   लोग  यह  समझेंगे  कि   हम  पहले  जंगली  थे ,  हमारे  पूर्वज  बन्दर   थे   तो    लोगों  के  क्रिया - कलाप  ऐसे  ही  होंगे   कि   सब  तरफ  कोहराम  मचा  रहे   l    इस  सत्य  को  समझाने  वाली  एक  कथा  है  -------   एक  सिंहनी  गर्भवती  थी  ,  वह  शिकार  को  निकली    तभी  एक  शिकारी  ने  उस  पर  तीर  चला  दिया   l   सिंहनी  की  तो  मृत्यु  हो  गई   लेकिन  उसने  मरने  से  पहले   एक शावक  को  जन्म  दे  दिया   l   बिन  माँ  के  उस  शावक   को वन  में  भटकते  देख    हिरनों   के   एक  झुण्ड   को उस  पर  दया  आ  गई   और  उन्होंने  उसे  अपने  झुण्ड  में  सम्मिलित  कर  लिया   l  हिरनों   के  साथ  पलते - खेलते  वह  शावक  भूल  ही  गया  कि   वह  सिंह  है   l  जैसा   हिरन करते  ,  वैसा  ही   वह करता  l   एक  दिन  एक  व्यस्क  सिंह   उस  कोने  में  पहुंचा  ,  जहाँ  यह  हिरनों   का  झुण्ड  रहता  था  l   उसको  देख  सारे  हिरन  भाग  गए  ,  वह  सिंह  शावक  भी  उनके  संग  भागा  l  उस  व्यस्क  सिंह  के  यह   देखकर बड़ा  आश्चर्य  हुआ   l   उसने  हिरनों   को  छोड़कर  उस  सिंह  शावक  को  पकड़ा   और  पूछा  कि   वह  क्यों  भाग  रहा  है  ?  वह  डरते - घबराते  बोला     कि  वह  तो  हिरन  है  l   व्यस्क  सिंह  को  यह  सुनकर  बड़ा  आश्चर्य   हुआ  कि   सिंह  शावक  स्वयं  को  हिरन  कह  रहा  है  l   उसके  भ्रम  को  दूर  करने  के  लिए  वह  उसे  नदी  के  किनारे  ले  गया   और  कहा ---' पानी  में  झांक  कर  देख  तुझमें   और  मुझमें  क्या  अंतर्  है  ? '  पानी  में  अपनी  परछाई  देखते  ही  उसे  समझ   आ  गई   कि   वह  एक  सिंह  है  ,  उसकी  दहाड़  वापस  आ  गई   l  सम्पूर्ण  मानव  जाति   यह  स्मरण  रखे  कि    वह  परमात्मा   का अंश  है  

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