इस संसार में सब जगह असमानता है , भेद -भाव है l व्यक्ति कितना भी पढ़ -लिख जाये लेकिन धर्म , जाति के आधार पर भेदभाव करना नहीं छोड़ता l अमीर - गरीब , ऊँच -नीच , काले -गोरे , पुत्र - पुत्री हर बिंदु पर असमानता देखने को मिलेगी l शासन भी चाहे प्रजातंत्र हो , या राजतन्त्र , साम्यवाद हो या कोई भी वाद हो , मनुष्यों द्वारा ही संचालित होता है इसलिए इन सब असमानताओं को लेकर उनमे अशांति , तनाव बना ही रहता है l श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान यमराज के शासन को श्रेष्ठतम मानते है l यम मृत्यु के देवता हैं और यम के सामने सभी समान हैं l वहां कोई भेदभाव नहीं , कोई पक्षपात नहीं l बेवजह का छल -कपट , धोखा , अहंकार कुछ नहीं l जब जिसका समय आ गया , फिर चाहे वह राजा हो या रंक , किसी भी जाति या धर्म का हो उसे जाना ही पड़ता है l इसलिए यमदेवता को भगवान अपना स्वरुप कहते हैं l
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