लघु - कथा ------ एक व्यापारी रेगिस्तान के रास्ते से व्यापार कर के लौट रहा था l उसने अपनी झोली में कई कीमती हीरे - जवाहरात आदि भर रखे थे l कुछ शुभ चिंतकों ने उसे समझाया कि वो अपना कुछ भार हल्का कर दे और मोतियों के बदले पानी की चिश्तियां बाँध ले l उसने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी यात्रा जारी रखी l दुर्योग से वो रास्ता भटक गया l साथ में लाई गई रसद व भोजन सामग्री धीरे - धीरे चुक गई l वह भूखा - प्यासा निढाल पड़ा था तब रत्नों और माणिकों के वजन को देखकर उसे अनुभव हुआ कि जीवन में जीवन से ज्यादा बहुमूल्य और कुछ भी नहीं है l हीरे - मोतियों की चमक थोड़ी देर का आकर्षण जरुर प्रस्तुत करती है , पर कठिन समय में पानी की एक बूंद के सामने कोहिनूर की कीमत भी एक पत्थर है से ज्यादा नहीं है l
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