लघु -कथा ----- एक छोटी नदी थी l पार जाने के लिए एक लम्बा लट्ठा उसके आरपार रखा था l उस पर एक के निकलने जितनी जगह थी l एक दिन दो बकरे दोनों ओर से एक ही समय चल पड़े और बीच में आकर अड़ गए l न किसी ने सोचा और न परिस्थिति की विषमता देखकर पीछे हटने का विवेक अपनाया l अड़े - सो -अड़े ! हेठी कौन कराये ? घमंड कौन छोड़े ? पीछे हटने और जान बचाने की बात कौन सोचे ? लड़ने -मरने और एक दूसरे को नीचा दिखाने के उन्माद में परस्पर टकराने लगे l आपस में टकराने से पहले छोटा बकरा गिरा उसके बाद बड़ा गिरा और उसके बाद दोनों ही नदी के प्रवाह में पड़कर मौत के मुंह में चले गए l अहंकार का उन्माद जो न कर गुजरे , सो कम ही है ल
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