आनंदमयी माँ न तो पढ़ी -लिखी थी और न ही उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया था , पर वे उच्च स्तर के संतों और विद्वानों के प्रश्नों का बराबर उत्तर देती थीं l एक बार ढाका में दार्शनिकों का सम्मेलन हो रहा था l प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री महेंद्र सरकार ने प्रश्न किया --- ' माँ , आपने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया है ? ' ' क्यों ? उन्होंने पूछा l महेंद्र सरकार बोले --- " आपसे जितने सवाल किए गए और आपने जो उत्तर दिए , वे सभी दर्शनशास्त्र के अनुरूप थे l यह कैसे संभव हुआ , यह जानने की इच्छा है ? ' इस सवाल के जवाब में माँ बोलीं --- " यह समस्त अस्तित्व एक विराट ग्रन्थ है l इसकी रचना स्वयं आदिशक्ति ने की है l उनकी कृपा से जिसे इस ग्रन्थ का बोध हो जाता है , उसे फिर कुछ भी जानना शेष शेष नहीं रहता l
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