ऋषियों का कहना है कि संस्कारों में परिवर्तन बहुत कठिन कार्य है l शिक्षा से , धन - वैभव आ जाने से , पद -प्रतिष्ठा मिल जाने से संस्कार परिवर्तित नहीं होते l संस्कारों में परिवर्तन के लिए समर्थ गुरु के संरक्षण में तप - साधना की जरुरत होती है l इसे सरल शब्दों में कहें तो यदि कोई वर्तमान में अपराधी है , हत्या , दुष्कर्म , डकैती , किसी का हक छीनना , छल , कपट , षड्यंत्र , अपने ही परिवार के साथ धोखा , व्यभिचार जैसे अपराधों में संलग्न है , तो यदि ईमानदारी और निष्पक्ष भाव से सर्वेक्षण किया जाए तो ये अपराध उसकी पिछली तीन -चार पीढ़ियों में किसी न किसी सदस्य ने अवश्य किए होंगे l समय के साथ उन अपराधों को करने का तरीका बदल जाता है l जब व्यक्ति स्वयं सन्मार्ग पर चलने का संकल्प ले , निष्काम कर्म ,सेवा करे फिर गुरु कृपा से सुधार संभव है अन्यथा यही पैटर्न पीढ़ी -दर -पीढ़ी चलता रहता है l इसी तथ्य को स्पष्ट करने वाली एक कथा है ------ एक सुन्दर वधू ने पति को पूरी तरह वशवर्ती कर लिया l घर में बहुत बूढ़ा बाप था l दिन भर खांसता था और असमर्थ होने के कारण तरह -तरह की मांगे करता था l वधू ने अपने पति से हठ किया कि या तो इस बूढ़े को हटाओ , नहीं तो मैं मायके चली जाऊँगी और फिर नहीं आऊँगी l पति को आखिर झुकना पड़ा l वह ऊँटों पर माल ढोने का काम करता था l सो एक दिन पिता को नदी पर पर्व -स्नान के लिए अपने साथ ले गया और रास्ते में मारकर झाड़ी के नीचे गाड़ दिया l दिन गुजरने लगे , उसका पुत्र जन्मा , बड़ा हुआ l उसकी सुन्दर वधू आई , बाप बूढ़ा हुआ l उसे भी वही खांसी , कमजोरी l वधू को सहन नहीं होता था , वही मारने का प्रस्ताव l लड़के ने बाप को ऊंट पर बैठाकर नदी में पर्व स्नान के लिए चलने को राजी कर लिया और रास्ते में मारकर उसी झाड़ी में गाड़ दिया l अब यह तीसरी पीढ़ी थी , यह लड़का भी नदी में स्नान कराने के बहाने पिता को ऊंट पर बैठाकर ले चला l संयोगवश उसे भी मारने और गाड़ने के लिए वही झाड़ी उपयुक्त पाई गई l बेटा छुरा निकालने वाला था कि पिता ने कहा -- यहाँ ये दो गड्ढ़े खोद कर देखो l दोनों में अस्थि -पंजर पाए गए एक उसके बाप का और बाबा का l उनका दुःखद अंत भी इसी तरह हुआ था l बूढ़े बाप ने अपने बेटे से कहा ---- ' मुझे मारने पर तो इस परंपरा के अनुसार तेरी भी दुर्गति ऐसे ही होगी , इसलिए तू मुझे मार मत l वधू से झूठ बोल देना , मैं कहीं दूर चला जाता हूँ , फिर कभी लौटकर नहीं आऊंगा l इस पाप के प्रचलन को तोड़ना बहुत जरुरी है l बेटे की आँख खुली , उसे समझ आया l बहुत अनुनय -विनय कर पिता को पुन: घर ले आया l पत्नी को सब बताया , समझाया l सबने भगवान से प्रार्थना की -- भगवान ! ऐसे पापी विचारों से हमारी रक्षा करो , पाप के गड्ढ़े में गिरने से बचाओ ! ' सच्ची प्रार्थनाएं सुनी जाती हैं l बुरी शक्तियों का जो तूफ़ान आया था , वह शांत हो गया l बूढ़ा भी बच गया और पाप व अपराध की जो परंपरा चल पड़ी थी वह भी टूट गई l
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