' मनुष्य प्रकृति में सबसे समझदार और बुद्धिमान प्राणी है ' लेकिन जब उस पर अहंकार हावी हो जाता है , बुद्धि दुर्बुद्धि में बदल जाती है तब इस उक्ति पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है -------- एक देश का बंटवारा हुआ l विभाजन रेखा पागलखाने के बीच में से गुजरी l दोनों देशों के अधिकारियों में से कोई भी पागलों को अपने देश में लेने को तैयार न था l अधिकारियों ने सोचा क्यों न इन्ही लोगों से पूछ लिया जाये कि वे किस देश में रहना चाहते हैं l अधिकारियों ने उनसे कहा कि देश का बंटवारा हो गया है , आप उस देश में जाना चाहते हैं या इस देश में l पागलों ने पलट कर पूछा ---" हम गरीबों का पागलखाना क्यों बांटा जा रहा है ? हम तो सब मिलकर प्रेम से रहते हैं l हम में कोई मतभेद नहीं , इसमें आपको क्या आपत्ति है ? ' अधिकारियों ने कहा ---- ' आपको जाना कहीं नहीं है l रहना यहीं है l ' पागल बोले ---- यह क्या पागलपन है जब जाना कहीं नहीं है तो इस देश और उस देश से क्या मतलब ? ' अधिकारियों ने सोचा कि व्यर्थ की माथा पच्ची से कोई लाभ नहीं और उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचोंबीच दीवार खड़ी कर दी l कभी -कभी पागल उस दीवार पर चढ़ जाते , और एक -दूसरे से कहते --- ' देखा ! समझदारों ने देश का विभाजन कर दिया l न तुम कहीं गए न हम l व्यर्थ में हमारा -तुम्हारा मिलना -जुलना , हँसना -बोलना बंद कर के इन्हें क्या मिल गया ? ' ----- जब -जब मनुष्य पर बेअकली सवार होती है तो वह जाति , सम्प्रदाय , रंग , रूप , भाषा और देश के आधार पर विभाजित होता चला जाता है और स्वयं ही अपनी शांति और खुशहाली नष्ट करता रहता है l
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