मनुष्य तो वही हाड़ -मांस का पुतला है , उसके गुण उसे इनसान बनाते हैं लेकिन यदि उसमे अहंकार , लोभ -लालच ,तृष्णा , कामना आदि अनेक दुर्गुण हैं तो ये दुर्गुण ही उसे शैतान बना देते हैं l ऐसी दुष्ट आत्माएं अपने जीते -जी न तो स्वयं चैन से रहती हैं , न दूसरों को चैन से रहने देती हैं और मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोडती हैं l एक कथा है ----- एक मुनीम जी थे , गाँव में रहते थे l खेती , जमीन , मकान सब कुछ था , इसलिए अहंकार भी बहुत था l वे चाहते थे सब गाँव वाले उनकी खुशामद करें , जो नहीं करता , वे उसके खिलाफ मुक़दमे लगाते l गाँव के लोगों को बड़ा परेशान करते थे l एक बार वे बीमार पड़े l गाँव वालों से कहा --- " अब हम मरने वाले हैं l हमने तुम्हें बहुत कष्ट दिया है l अब सोचते हैं कि आखिरी समय है प्रायश्चित कर लें l हमें आप सब मिलकर सजा दीजिए l हमारे मरने के बाद आप सब हमारी छाती में खूंटा गाड़ देना , यह सोचकर कि यह दुष्ट आत्मा है , इसे शांति मिले l कृपया आप लोग ऐसा अवश्य कर देना , तभी हमारी आत्मा को शांति मिलेगी l " कुछ दिनों बाद वे मर गए गाँव वाले बहुत भोले थे , उन्होंने वैसा ही किया जैसा वे कह गए थे l तुरंत पुलिस आ गई l बहुतों को पकड़ कर ले गई l वास्तव में वे मरने से पहले पुलिस में रिपोर्ट लिखा गए थे कि गाँव के लोग हमारी छाती में खूंटा गाड़कर मारने का प्लान बना रहे हैं l मरकर भी उन्होंने पूरे गाँव को छोड़ा नहीं l दुष्ट आत्माएं ऐसी ही होती हैं , इनसे न दोस्ती अच्छी , न दुश्मनी l इनसे दूरी बना ले l
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