स्व. राष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन जब रूस में भारतीय राजदूत थे और मास्को में रहते थे , तब एक बार उन्होंने स्टालिन से कहा था --- " भारत के महान सम्राट युद्ध में विजय पाकर भिक्षु बन गए l कौन जाने शायद आप भी उसी प्रशस्त मार्ग पर चल पड़ें l " स्टालिन ने उत्तर दिया --- " हाँ , कई बार चमत्कारी घटनाएँ भी हो जाती हैं l ऐसा चमत्कार संभव तो है ही l " रूस से विदा लेते हुए डा. राधाकृष्णन जब स्टालिन से मिलने गए , तो विदा लेते हुए स्टालिन के सिर पर हाथ रखा , तो भीगी आँखों से विदा देते हुए स्टालिन ने कहा ---- " आप प्रथम व्यक्ति हैं , जो मुझसे मानव सा व्यवहार करते हैं , शेष सब राजदूत तो मुझे दैत्य मानकर दूर रहते हैं l मुझे अब अधिक दिन नहीं जीना , ईश्वर आपको चिरायु करे l " इस संवाद के छह महीने बाद स्टालिन ने शरीर छोड़ दिया l
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