3 September 2022

WISDOM----

   बलख  के  बादशाह  के  पास  अपार  धन -सम्पदा  थी   लेकिन  उन्हें  आत्मिक म संतोष  नहीं  था  l धीरे -धीरे  उन्हें  संसार  से  विरक्ति  होने  लगी  l  उन्होंने  अपने  वजीर  से  कहा --- " मुझे  किसी  पहुंचे  हुए  संत  के  दर्शन  कराने  ले  चलो  l "  बादशाह  को  साथ  लेकर  वजीर  लाहौर  की  ओर  रवाना  हो  गए  l  लाहौर  के  समीप  जंगल  में  मियां  मीर  झोंपड़ी  में  रहा  करते  थे  l  उन्हें  जब  पता  चला  कि  बादशाह  उनके  दर्शनों  के  लिए  आ  रहे  हैं  तो  उन्होंने  अपने  शिष्यों  को  हिदायत  दी  कि  बादशाही  ठाठ -बाट  वाले  किसी  व्यक्ति  को  उनके  पास  न  आने  दें  l   बादशाह  को  जब  यह  ज्ञात  हुआ  तो  उन्होंने  अपना  सारा  समान  गरीबों  में  बंटवा  दिया  और  साधारण  वस्त्र  पहनकर  संत  की  कुटिया  के  बाहर  पहुंचे  l  मियाँ  मीर  ने  कहलवाया  कि  जंगल  में  एक  और  फ़क़ीर  रहते  हैं  ,  कुछ  दिन  उनकी  सेवा  करो न ,  उनके  जैसा  जीवन  जियो  ,  तब  तुम्हे  दर्शन  का  मौका  दिया  जायेगा  l  बादशाह  ने  जंगल  में  रहकर  फ़क़ीर  की  सेवा  की  और  फकीर  की  इबादत  में  अपने  जीवन  को  लगाने  का  निश्चय  किया  l  मियाँ  मीर  ने  खुश  होकर  बादशाह  को  अपना  शिष्य  बनाया   और  उन्हें  आत्मज्ञान  का  मार्ग  दिखाया  l  मियाँ  मीर  के  आशीर्वाद  से  बादशाह  आगे  चलकर  संत  बुल्लेशाह  के  नाम  से  प्रसिद्ध  हुए  l  

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