श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान कहते हैं --- मेरे भक्त का कभी नाश नहीं होता l किसी भी स्थिति में उसका कोई अहित नहीं होता l मैं सदा उसके साथ रहता हूँ l जो सच्चे ईश्वर भक्त हैं उनके मन में सतत विश्वास रहता है कि जब प्रभु साथ हैं तो कुछ भी अन्यथा नहीं होगा l एक कथा है ---- एक सेठ जी थे , ईश्वर विश्वासी थे l ईमानदारी से व्यापार करते और और काम करने के साथ मन में निरंतर भगवान का नाम स्मरण करते l उनके रुई के कई गोदाम थे l एक दिन उनका मुनीम अचानक दौड़ता हुआ उनके कक्ष में पहुंचा और बोला --- " सेठ जी ! बड़ी बुरी खबर है l तार आया है कि हमारे गोदामों में आग लग गई , संभवतः लाखों का नुकसान हो गया हो l " यह सुनकर सेठ जी जरा भी विचलित नहीं हुए और बोले --- " जैसी प्रभु की इच्छा , वैसा ही होगा l " मुनीम को ऐसा देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ l l एक घंटे बाद मुनीम फिर से सेठजी के कमरे में दौड़ा आया और बोला --- " सेठ जी ! अभी -अभी खुशखबरी आई है l हमारे सारे गोदाम सुरक्षित हैं l पहला वाला तार हमें गलती से मिल गया था l सेठजी ने फिर वही शांत भाव से उत्तर दिया --- " जैसी प्रभु की इच्छा होती है , वैसा ही होता है l " मुनीम को समझ में आ गया जो सब कुछ ईश्वर की इच्छा मानकर उन पर छोड़ देते हैं वे मन:स्थिति में शांत रहते हैं l
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