लघु कथा ---- सुबह -सुबह एक लोहार घर से बाहर निकला l रास्ते में उसे लोहे के दो टुकड़े मिल गए , उसने उन्हें उठा लिया और घर लौटने पर लोहार ने एक टुकड़े से तलवार बनाई और दूसरे को ढाल बना दिया l कुछ दिनों बाद एक योद्धा आकर तलवार और ढाल खरीदकर ले गया l उस योद्धा ने कई युद्धों में उनका उपयोग किया l एक युद्ध में तलवार टूट गई लेकिन ढाल ज्यों की त्यों सलामत रही l टूटी तलवार को योद्धा घर ले आया और तलवार व ढाल दोनों को पास -पास रख दिया l रात में जब सब सो गए , तब तलवार कराहती हुई ढाल से बोली --- बहिन , देखो मेरी कैसी दुर्दशा हो गई और एक तू है जो ज्यों -की -त्यों सुरक्षित है l ढाल ने कहा ---हम दोनों में एक फर्क जो है l वह क्या ? तलवार पूछ बैठी l ढाल ने कहा --- तू सदैव किसी को मारने -काटने का काम करती रही है और मैं बचाने का l यह ख्याल रखो कि मारने वाले से बचाने वाले की आयु ज्यादा है l
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