6 February 2023

लघु -कथा -----

   प्रचेता  एक  ऋषि  के  पुत्र  थे   और  स्वयं  भी  बड़े  तपस्वी  थे  l  लेकिन  वे  बहुत  क्रोधी  थे , अपने  क्रोध  पर  उनका  नियंत्रण  न  था  , अपनी  इस  दुर्बलता   के  आगे  विवश  थे  l    एक  बार  वे   एक  बहुत  संकरे  रास्ते  से  गुजर  रहे  थे  , उसी  समय  दूसरी  ओर  से  कल्याणपाद   नाम  का  एक  व्यक्ति  आ  गया  l  दोनों  एक  दूसरे  के  सामने  थे  l   पथ  संकरा  होने  के  कारण   एक  के  राह  छोड़े  बिना  , दूसरा  जा  नहीं  सकता  था  ,  लेकिन  कोई  भी  राह  छोड़ने  को  तैयार  नहीं  था  l   दोनों  ने  इसे  अपनी  प्रतिष्ठा  का  प्रश्न  बना  लिया  , कोई  भी  झुकने  को  तैयार  न  था  l  प्रचेता  ऋषि  को  क्रोध  आ  गया  ,  वे  तपस्वी  तो  थे  ही , लेकिन  क्रोध  के  कारण  बिना  परिणाम  सोचे  उन्होंने  कल्याणपाद   को  श्राप  दे  दिया  कि  वह  राक्षस  हो  जाये   l  तप  के  प्रभाव  से   कल्याणपाद  राक्षस  बन  गया   और  प्रचेता  को  ही  खा  गया  l  

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