आज संसार में जितनी भी समस्याएं हैं , उनके मुख्य दो ही कारण हैं ---- पर्यावरण प्रदूषण और मानसिक प्रदूषण l पर्यावरण प्रदूषण के परिणाम तो प्राकृतिक आपदाओं के रूप में संसार के सामने हैं लेकिन फिर भी मनुष्य सुधरता नहीं है l इसका कारण यही है कि लोगों की मानसिकता प्रदूषित हो गई है l तृष्णा , कामना , लोभ , लालच आदि बुराइयाँ अपने चरम रूप में मनुष्य पर हावी हैं l वैज्ञानिक को तो ईश्वर ने विशेष बुद्धि दी है कि वह तरह -तरह के अविष्कार कर सके लेकिन इन आविष्कारों को लोगों तक पहुँचाने के लिए धन की आवश्यकता होती है l अब कलियुग की मार ही ऐसी है कि जो धन उपलब्ध कराता है , उस पर स्वार्थ हावी है , वह उस ज्ञान का उपयोग इस ढंग से करता है कि उसकी संपदा कई गुना बढ़ जाए l धन और धनवान जिस क्षेत्र में प्रवेश कर लें , चाहे वह राजनीति हो , शिक्षा हो , चिकित्सा हो या धर्म हो --वह क्षेत्र व्यापार बन जाता है l वहां गुणा -भाग शुरू हो जाता है और जनता पिसती रहती है l व्यापार में किसी को लाभ किसी को हानि होती है जैसे युद्ध होता है तब निर्दोष बच्चे आदि प्रजा मरती है , जान -माल का नुकसान होता है , लेकिन जो युद्ध की सामग्री बनाते हैं वे मालामाल हो जाते हैं l इसी तरह पर्यावरण प्रदूषण , कृषि आदि खाद्य पदार्थों में रासायनिक तत्वों के होने से लोग बीमार पड़ते हैं , जब महामारी की घोषणा होती है और महामारी फैलती है तब लाखों मरते हैं लेकिन जो दवाइयां , इंजेक्शन आदि बनाते हैं , उनकी संपदा बहुत बढ़ जाती है l सत्य यह है कि मनुष्य स्वयं अपने ' मन ' से मजबूर है , अपनी मानसिक बुराइयों से जीत नहीं पाता , उसके आगे घुटने टेक देता है , यदि कोई सही राह दिखाए भी तो उसे सहन नहीं करता , मिटाने को आतुर हो जाता है इसीलिए परिवार हो , समाज हो , राष्ट्र हो या संसार सब जगह तनाव और हाहाकार है l आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि सबके पास सद्बुद्धि हो , लोग ईश्वर से डरें और इस सत्य को स्वीकार करें कि उनके हर कदम पर , उनकी भावना क्या है , सब पर ईश्वर की नजर है l कर्मफल के सिद्धांत को समझें , ईश्वर के क्रोध को चुनौती न दें l
No comments:
Post a Comment