1 February 2023

WISDOM ----

  लघु -कथा ---- लोभ  और  अहंकार  ने  एक  बार  मिलजुलकर  ठाना  कि  कुछ  ही  समय  में  सारे  संसार  की  विचारशीलता  को   अपने  कब्जे  में  कर  लेंगे   और  एकछत्र  राज्य  करेंगे  l  चक्रवर्ती  बन्ने  का  जुनून  था  लेकिन  जल्दी  सफलता  नहीं  मिल  रही  थी  अत: उन्होंने   एक  शक्तिशाली   देवता  को  सिद्ध  करने  के  लिए  साधना  शुरू  की  l  उनकी  इच्छा  थी  कि  देवता  उन्हें  ऐसी  बुद्धि  दें  जिससे  उनका  मनोरथ  पूर्ण  हो  जाए  l  उनकी  कठिन  साधना  से  प्रभावित  होकर  देवता  जाग  गए   और  उन  दोनों  साधकों  से  उनका  मनोरथ  पूछा  l  उन्होंने  बड़ी  नम्रता  से   अपनी  इच्छा  बताई   तो  देवता  हँसने  लगे   और  कहा ---- तुमसे  पहचानने  में  भूल  हो  गई  l  मेरा  नाम  विवेक  है  ,  मैं  विवेक  दे  सकता  हूँ   लेकिन  मेरे  जग  पड़ने  पर   लोभ  और  अहंकार - तुम  दोनों  का  अस्तित्व  ही  समाप्त  हो  जायेगा  l  अब  दोनों  बहुत  घबराए   और  कहने  लगे   -- देवता ,  आप  फिर  से  गहरी  नींद  सो  जाइये  , हमें  यह  वरदान  नहीं  चाहिए  l   हम  अपने  ही  बलबूते  पर   देर -सवेर  अपना  मनोरथ  पूर्ण  कर  लेंगे    l  ` देवता  ने  उन्हें  बहुत  समझाया  कि   लोभी , अहंकारी  को  दैवी  विधान  के  नियमानुसार   फल  मिलता  है ,   लेकिन   वे  नहीं  माने  l  देवता  अपने  नियम  से  बंधे  थे  l  जैसे  धनुष  पर  बाण  चढ़ा  लिया  जाता  है  तो  उसका  संधान  करना  ही  पड़ता  है  ,  इसलिए  देवता  ने  अपनी  दिव्य  द्रष्टि  से  देखकर   संसार  में  जो  सत्पात्र  थे   उन्हें  विवेक  दिया   ताकि  वे   लोगों  को   सन्मार्ग  दिखा  सकें , जागरूक  कर  सकें  l  

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