स्रष्टि में निरंतर संघर्ष है --- दिन और रात के बीच , अंधकार और प्रकाश के बीच , देव और दानव के बीच निरंतर संघर्ष चलता रहता है l देवता देवत्व का उदय चाहते हैं और दानव आसुरी साम्राज्य का आधिपत्य l संघर्ष चाहे कितना भी लम्बा हो विजय हमेशा धर्म की , सत्य की होती है l रामायण काल हो या महाभारत काल , उस समय सबके सामने स्पष्ट था कौन देवता है , कौन असुर है ? कौन धर्म और न्याय पर चल रहा है और कौन अनीति , अत्याचार और अधर्म के मार्ग पर है l लेकिन कलियुग की सबसे बड़ी समस्या है कि कौन देवता है , कौन असुर है ? यह पहचानना बड़ा कठिन और असंभव सा है क्योंकि मनुष्य ने एक चेहरे पर कई चेहरे लगा रखे हैं l कहते हैं अच्छाई में गजब का आकर्षण होता है इसलिए बुरे से बुरा कार्य करने वाला भी समाज में स्वयं को बहुत शालीन और सभ्य दिखाता है लेकिन ईश्वर हम सब के ह्रदय में बैठे हैं वे हमारे बाहरी कार्यों के अलावा हमारे मन -मस्तिष्क में क्या चल रहा है , इसे भी अच्छी तरह जानते हैं l वैज्ञानिक तकनीकों से केवल व्यक्ति के बाह्य क्रिया -कलापों की जासूसी की जा सकती है लेकिन ईश्वर सबसे बड़ा जादूगर है , सम्पूर्ण स्रष्टि में प्रत्येक व्यक्ति के मन में क्या है , उसके हर पल की खबर ईश्वर को है क्योंकि हम सबके मन के तार ईश्वर से जुड़े हैं l जो इस सत्य को जानता है और कर्मफल सिद्धांत में विश्वास रखता है , उसका एक ही चेहरा होता है , उसका जीवन एक खुली किताब होता है l इसलिए उनके जीवन में शांति और सुकून होता है l लेकिन जिनकी आँखों पर लोभ , लालच , स्वार्थ , अहंकार , महत्वाकांक्षा का परदा पड़ा होता है , वे बहुत कुछ छुपाने के चक्कर में अपने जीवन का सुख -चैन गँवा बैठते हैं और तनाव की जिन्दगी जीते हैं l
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