इटली के सुविख्यात संत अलफांसस लिग्योरी अपनी युवावस्था में वकालत किया करते थे l न्यायालय में जब वे दलीलें देकर बहस करते थे, तब सभी उनकी तर्क्शैली से हतप्रभ रह जाते थे l एक दिन वे न्यायालय में अपने मुवक्किल के पक्ष में पैरवी कर रहे थे l मुवक्किल ने उनसे एक ऐसा तथ्य छिपाया जिसके आधार पर वह दोषी सिद्ध होता l अदालत की कार्रवाई के दौरान दूसरे पक्ष के वकील ने कहा ---- " माननीय अलफांसस महोदय !बहस करते समय यदि इस तथ्य का अवलोकन कर लें तो शायद उनकी आत्मा उन्हें स्वयं सत्य का आभास दिलाने में सफल होगी l " अलफांसस उस तथ्य को जानते ही समझ गए कि वे असत्य और अनीति की वकालत कर रहे हैं l उन्होंने वकालत का चोला शरीर से उतारा और बोले --- " सर ! मैं इसी वक्त से यह कार्य छोड़ रहा हूँ l मैं तर्क शक्ति के बल पर अपराधी को निरपराध तथा निरपराध को अपराधी बनाने का अनैतिक कार्य जीवन पर्यंत नहीं कर सकता l ' उन्होंने उसी दिन से अपना जीवन ईश्वर उपासना और सेवा में लगाने का संकल्प लिया और आगे चलकर संत के रूप में विख्यात हुए l
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