1. बसरा का एक व्यापारी रेगिस्तान में भटक गया l कई दिनों तक मरुस्थल में मारा -मारा फिरा l भूख के मारे उसका बुरा हाल हो गया l लगता था भगवान ने उसकी पुकार सुन ली l उस दिन शाम होते -होते नखलिस्तान दिखाई दे गया l व्यापारी वहां पहुंचा तो प्रसन्नता से बांछें खिल गईं l वहां एक पोटली पड़ी थी l व्यापारी ने उसे उठा लिया l सोचा --- इतने सारे चनों से तो दो दिन का काम चल जायेगा l किन्तु अगले क्षण कितनी निराशा के थे , जब उसने पोटली खोली l उसमें चने नहीं , मोती बंधे पड़े थे l जीवन के आखिरी क्षण व्यापारी जान पाया कि धन जीवन की मूल आवश्यकता नहीं है , वह तो कंकड़ -पत्थर है , यदि उसका कुछ सदुपयोग न हो l
2 . बुद्ध एक गाँव में ठहरे l एक व्यक्ति आकर बोला --- " भंते ! आप ने अब तक अनेक लोगों को सत्य , शांति और मोक्ष की बात कही l क्या आप बताएँगे कि कितनों को मोक्ष प्राप्त हुआ है ? " बुद्ध ने कहा --- " तुम एक काम करो l सारे गाँव का चक्कर लगाकर आओ कि कौन शांति चाहता है , कौन मोक्ष व कौन सत्य ? ' वह व्यक्ति बोला --- " कोई अभागा ही होगा , जो यह नहीं चाहता होगा l फिर भी घूम आता हूँ l " उस व्यक्ति ने गाँव का एक -एक घर टटोल डाला , एक भी आदमी ऐसा नहीं मिला जो यह चाहता था l किसी ने कहा मुझे धन चाहिए , किसी ने यश , किसी ने संतान , किसी ने पद l बुद्ध के पास लौटकर वह व्यक्ति बोला ---" बड़ा अजीब गाँव है प्रभु ! सबकी आकांक्षाएं लौकिक हैं l " बुद्ध बोले --- " इसमें विचित्र क्या है वत्स ! सभी सुख चाहते हैं , शांति नहीं l और सुख के लिए तरह -तरह के तरीके खोजते हैं l सुख से शांति का मार्ग कैसे मिलेगा ? "
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