हातिम को अपने वैभव और दान का बड़ा अहंकार था l एक दिन उसने किसी तत्वज्ञानी संत को अपने यहाँ बुलाया और उनके मुख से अपनी प्रशंसा सुनने की उम्मीद रखी l संत ने महल पर तो एक बार ही उड़ती नजर डाली . पर आकाश और धरती को कई बार बड़ी बारीकी से देखा l हातिम ने आश्चर्य पूर्वक इसका कारण पूछा l संत ने कहा -- " मैं ऊपर इसलिए देख रहा था कि इस विशाल आकाश के नीचे तेरे जैसे कितने मनुष्य हो सकते हैं l तेरा क्षेत्र तो छोटा सा है l और जमीन को इसलिए देख रहा था कि इसमें तेरे जैसे करोड़ों की कब्र बन चुकी है और आगे भी न जाने कितनों की बनेगी l " संत के वचन सुनकर हातिम का गर्व गल गया , वह समझ गया कि अहंकार किसी का भी नहीं रहा l
No comments:
Post a Comment