शेख सादी बड़े मशहूर शायर थे , पर साथ ही बड़े स्वाभिमानी और सादगीपरस्त इनसान थे l उनसे मिलने बड़े नामी -गिरामी लोग आया करते थे l एक बार सल्तनत के बादशाह उनकी शायरी सुनने आए और अपने साथ एक हीरा लाए l वे हीरे को शेख सादी को देते हुए बोले ----- " आप ये तोहफा कबूल कर लें l इसको बेचकर जो कीमत मिलेगी , उसमें आपका गुजारा आराम से हो जायेगा l " शेख सादी बोले ---- " सुल्तान ! पैसे से किसी को आराम नहीं मिलता , उलटे इससे आदमी की सोच में बेईमानी और मक्कारी ही जन्म लेती है l ' यह कहकर उन्होंने हीरा बादशाह के साथ आए जुलूस के बीच फेंक दिया l उसे झपटने के लिए लोगों में मार -पीट शुरू हो गई l यह देखकर बादशाह समझ गए कि आत्मिक आनंद ही सच्चा आनंद है l किसी सांसारिक वस्तु से उसकी तुलना करना नासमझी है l
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