अनमोल वचन ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " महत्वाकांक्षा की धुरी पर घूमने वाला जीवन वृत्त ही नरक है l महत्वाकांक्षा का ज्वर जीवन को विषाक्त कर देता है l जो इस ज्वर से पीड़ित हैं , शांति का संगीत और आत्मा का आनंद भला उनके भाग्य में कहाँ ? महत्वाकांक्षा यों तो प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है , पर वह अनियंत्रित होने पर दुःख . शोक का कारण बनती है l "
आचार्य जी लिखते हैं --- " जब तक अहंकार जिन्दा है , आदमी दो कौड़ी का है l जिस दिन वह मिट जायेगा , आदमी बेशकीमती हो जायेगा l अहं ही है जिसके कारण न सिद्धांत , न सेवा , न आदर्श आ पाते हैं l व्यक्ति लोक सेवा के क्षेत्र में प्रवेश कर के भी अनगढ़ बना रहता है l "
No comments:
Post a Comment