लघु कथा --- एक राजा बहुत सज्जन , दयालु और उदार थे l उनके दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था l बात फैलने लगी l उदारता का लाभ उठाने के लिए चालाकों और चापलूसों की भीड़ जुटने लगी l उनके चतुर मंत्री ने बात को समझा और एक दिन घोषणा करा दी कि महाराज बीमार हैं , उन्हें पांच व्यक्तियों का रक्त चाहिए , तभी उनके प्राणों की रक्षा की जा सकती है l पूरा एक सप्ताह बीत गया लेकिन कोई भी शुभ चिन्तक , , याचक , चापलूस आगे नहीं आया l राजा को बड़ी चिंता होने लगी l चतुर मंत्री ने राजा को संसार की रीति -नीति बताते हुए कहा --- महाराज , आप व्यथित न हों l आप तो एक छोटे राज्य के राजा हैं , लोगों ने आपको ठग लिया तो कौन सी बड़ी बात है l परमात्मा के दरबार में तो यह नित्य ही होता है , उसके भक्त कोरे कर्मकांड कर के , मात्र चिन्ह पूजा कर के उसे दिन -रात ठगते हैं किन्तु कष्ट सहने , त्याग करने , साधना करने कोई विरला ही आगे आता है l
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