गुलामी एक मानसिकता है l यह व्यक्तिगत गुण है l एक धन -वैभव संपन्न व्यक्ति भी किसी का गुलाम हो सकता है और एक निर्धन व्यक्ति जो अपनी मेहनत से परिवार का गुजर -बसर करता है , किसी के हाथ की कठपुतली नहीं है वह गुलामी की जंजीर में जकड़ा नहीं है l सत्य तो यह है कि व्यक्ति अपनी ही कामना , वासना , तृष्णा , लोभ , लालच , स्वार्थ , महत्वाकांक्षा ------अपनी ही कमजोरियों का गुलाम है l हर तरह से समर्थ होने के बावजूद भी अपनी इन कमजोरियों के पोषण के लिए वह किसी न किसी की गुलामी करता है l महाभारत में पितामह भीष्म , द्रोणाचार्य , कृपाचार्य , कर्ण और दुर्योधन के सभी भाई , कोई भी राज -वैभव से , सत्ता के सुख से वंचित होना नहीं चाहता था , इसलिए सबने आँख बंद कर के दुर्योधन का समर्थन किया , उसके हर षड्यंत्र और द्रोपदी के चीरहरण जैसे दुष्कृत्य पर भी वे सब मौन रहे l यह सुख -भोग की चाहत के लिए गुलामी थी l ऐसा नहीं है कि दुर्योधन इसके लिए उनका सम्मान करता था , उसे जब भी मौका मिलता उन्हें बातें सुनाने , ताने देने से नहीं चूकता था l दो तरह के व्यक्ति होते हैं ---एक वे जो अपने स्वार्थ के लिए किसी की भी गुलामी स्वीकार कर लेते हैं और दूसरे वे जो दूसरों को अपना गुलाम बनाने की कला में माहिर होते हैं l ये दूसरे प्रकार के व्यक्ति लोगों की कमजोरियों का पता लगते हैं और फिर उन पर लालच का , कामनाओं का जाल फेंकते हैं l अपने मन पर नियंत्रण न होने के कारण लोग ऐसे जाल में फँस जाते हैं और जीवन भर की गुलामी स्वीकार कर लेते हैं l यदि यह सामान्य व्यक्ति है तो ऐसी गुलामी के फायदे और नुकसान केवल उसके परिवार तक ही सीमित रहते हैं लेकिन यदि व्यक्ति का स्तर ऊँचा है तो ऐसी गुलामी से होने वाले नुकसान की गणना असंभव है l जैसे --- जब सिकंदर विश्व -विजय के अभियान में भारत की ओर बढ़ा तो उसने तक्षशिला के महाराज आम्भीक को पचास लाख रूपये की भेंट के साथ सन्देश भेजा कि यदि वह सिकंदर की मित्रता स्वीकार करे तो वह उसे महाराज पुरु को जीतने में उसकी मदद करेगा और पूरे भारत में उसकी दुन्दुभी बजवा देगा l आम्भीक को महाराज पुरु से बहुत ईर्ष्या -द्वेष था , वह इस लालच के जाल में फँस गया l ऐसे इतिहास में अनेकों उदाहरण हैं और उसके घातक परिणामों से इतिहास भरा है l इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है --- अपनी इच्छाओं को अपने वश में रखो , अपने मन पर नियंत्रण रखो तभी सुख -शांति और असीम आनंद का जीवन जी सकते हो l
No comments:
Post a Comment