संत उड़िया बाबा गंगा तट पर ठहरे हुए थे l उनसे मिलने वालों में एक खूंखार व्यक्ति भी मिलने पहुंचा , जो एक बंदूक लिए हुए था l बाबा के पूछने पर पता चला कि वह एक डाकू है l बाबा उससे बोले --- " बेटा ! दो कार्य नहीं करना ---- किसी महिला का अपमान नहीं करना और लूटते समय सोचना कि क्या किसी की परिश्रम की संपत्ति चुराना सही बात है l " उस रात्रि उस व्यक्ति की नींद उड़ गई l उसे लगने लगा कि वह पापकर्म कर रहा है l अगले दिन उसने अपने द्वारा लूटी गई समस्त संपत्ति बाबा के चरणों में अर्पित कर दी और ईश्वर भजन में जुट गया l महापुरुषों के साथ थोड़ा सा सत्संग भी जीवन बदल देता है l
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