लघु कथा ---- एक राजा ने अपने राज्य में एक नए पुरस्कार की घोषणा की l मंत्रियों से सलाह करने पर उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य के किसी वृद्ध व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाये l महामंत्री इस बात से सहमत नहीं थे , उनका कहना था कि लंबी उम्र की प्रशंसा करने से कोई उदेश्य पूर्ण नहीं होता , यदि सम्मान प्रदान करना है तो उसको दिया जाए , जिसने अपने जीवन में सत्कर्म किए हों , स्वयं सन्मार्ग पर चला हो और अपने आचरण से लोगों को शिक्षा दी हो l " पर राजा ने महामंत्री की बात नहीं मानी और अपने चाटुकारों की बात मानकर एक व्यक्ति को यह पुरस्कार देने की घोषणा की l वह व्यक्ति पूर्व में दुर्दांत अपराधी था और जेल की सजा भी काट चुका था l जब वह राजदरबार में पुरस्कार लेने आया तो महामंत्री ने उसके निकट फूलों को चढ़ाकर उन फूलों को प्रणाम किया l राजा को महामंत्री का यह व्यवहार विचित्र लगा , उन्होंने इसका कारण पूछा तो महामंत्री ने कहा --- " राजन ! प्रणाम मैंने उन पुष्पों को किया है , जो अल्प आयु में ही अपनी सुगंध सब ओर फैला जाते हैं l यदि आपने किसी ऐसे व्यक्ति को पुरस्कार दिया होता जिसने अपना जीवन सार्थक किया होता तो पुरस्कार की और आपकी गरिमा रह जाती l " राजा को अपनी गलती का भान हुआ l
No comments:
Post a Comment